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Committee Cabinet को देगी रिपोर्ट, पांच मेगावाट की 40 परियोजनाएं अटकीं


Shimla. शिमला। ऊर्जा राज्य हिमाचल में सालों से नया बिजली प्रोजेक्ट उत्पादन में नहीं आया है। प्रदेश की सुक्खू सरकार ऊर्जा क्षेत्र को गति देना चाहती है और यह प्रयास करना चाहती है कि आबंटित किए गए प्रोजेक्टों को पूरा किया जा सके। इसके लिए जरूरी है कि पिछली सरकारों से हटकर कुछ नई रियायतें यहां परियोजना प्रबंधकों को दी जाएं, जिससे न केवल पुराने अधर में लटके प्रोजेक्ट पूरे हो सकें बल्कि नए परियोजना प्रबंधक भी यहां पर आए और बिजली क्षेत्र में निवेश करें। प्रदेश में 24 हजार मेगावाट की बिजली क्षमता है, जिसमें से अभी तक 10 से 11 हजार मेगावाट का ही दोहन हो सका है। हालांकि सरकार ने लगभग 20 हजार मेगावाट की परियोजनाओं को आबंटित कर रखा है, मगर कई साल हो गए, किसी नई परियोजना का काम पूरा नहीं हो सका है। बिजली क्षेत्र में निवेश इस वक्त पूरी तरह से ठप होकर रह गया है। सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार ने किन्हीं कारणों से अटके पड़े प्रोजेक्टों को क्लीयर करने के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया था। कुछ समय पहले दो आईएएस अधिकारियों को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई। इन अधिकारियों ने पूरा मामला जानने के बाद

रिपोर्ट तैयार कर ली है।

अब जल्दी ही कैबिनेट को यह रिपोर्ट दी जाएगी। कैबिनेट फैसला लेगी कि आगे क्या करना है, क्योंकि कमेटी अपने सुझाव इस रिपोर्ट में देने वाली है। जिन अधिकारियों को यह रिपोर्ट देने का जिम्मा दिया गया था, उनमें आशुतोष गर्ग और अरिंदम चौधरी हैं। आशुतोष गर्ग पहले हिमऊर्जा में काम कर रहे हैं और अभी विशेष सचिव कार्मिक हैं, जबकि अरिंदम चौधरी वर्तमान में विशेष सचिव ऊर्जा का दायित्व देख रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि 25 मेगावाट तक की क्षमता के 14 प्रोजेक्ट हैं, जो सालों से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। वहीं, 40 के करीब छोटे पांच मेगावाट तक के प्रोजेक्ट हैंं। इन परियोजना प्रबंधकों ने अपनी समस्याओं का जिक्र मुख्यमंत्री सुक्खू से किया था। इसके बाद सीएम ने कमेटी बनाकर उसे जिम्मेदारी सौंपी थी। बताया जा रहा है कि बिजली परियोजना प्रबंधकों के सामने एनओसी के मामले हैं, जिनको जरूरी स्वीकृतियां नहीं मिल पा रही हैं। इसमें कई मामले ग्राम पंचायतों की स्वीकृति नहीं मिलने की वजह से फंसे हुए हैं। वहीं, कुछ मामले फॉरेस्ट क्लीयरेंस और कुछ अन्य कारणों से फंसे हैं, जिनमें प्रदेश सरकार को अपनी पॉलिसी में कुछ बदलाव करने पड़ सकते हैं। अगली कैबिनेट में यह रिपोर्ट जा सकती है। हालांकि अभी बताया जा रहा है कि 11 जुलाई को कैबिनेट होगी, वैसे इसका अधिकारिक पत्र जारी नहीं हुआ है, क्योंकि तब भी आचार संहिता लागू होगी। अब 11 जुलाई को कैबिनेट नहीं होती है, तो यह आचार संहिता के बाद होगी। उस बैठक में ऊर्जा क्षेत्र की यह रिपोर्ट आने की उम्मीद है, जिस पर सरकार बड़ा फैसला लेगी।

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