गोमुखासन योग: जानिए सही तरीका और इसके फायदे

संस्कृत में ‘गोमुख’ का अर्थ होता है ‘गाय का चेहरा’ या गाय का मुख़ । इस आसन में पांव की स्थिति बहुत हद तक गोमुख की आकृति जैसे होती है। इसीलिए इसे गोमुखासन कहा जाता है। इसे अंग्रेजी में Cow Face Pose कहा जाता है। यह महिलाओं के लिए अत्यंत लाभदायक आसन है। यह गठिया,साइटिका,अपचन,कब्ज,धातु रोग, मधुमेह, कमर में दर्द होने पर यह आसन बहुत अधिक लाभप्रद हैं|

गोमुखासन योग विधि –

गोमुखासन योग को करने का तरीका बहुत सरल है। नीचे दिए गए विधि को समझ कर आप इस आसन को बहुत सरलता का साथ अभ्यास कर सकते हैं।

 

तरीका

  • सबसे पहले आप दोनों पैरों को आगे की ओर फैला कर बैठ जाएं और हाथ को बगल में रखें।
  • बाएं पांव को घुटने से मोड़ें तथा दाएं नितंब (Buttocks) की बगल से जमीन पर रख लें।
  • उसतरह से दाएं पांव को घुटने से मोड़ें, बाएं पांव के ऊपर से लाएं तथा दाईं एड़ी को बाएं नितंब (Buttocks) के पास रखें।
  • अब आप बाईं हाथ को उठाएं और इसको कोहनी (Elbow) से मोड़ें और पीछे की ओर कंधों से नीचे ले जाएं।
  • दाई बांह उठाएं, कोहनी (Elbow) से मोड़ें और ऊपर की ओर ले जाकर पीछे पीठ पर ले जाएं।
  • दोनों हाथों की अंगुलियों को पीठ के पीछे इस तरह से रखें कि एक दूसरे को आपस में गूंथ लें।
  • अब सिर को कोहनी पर टिकाकर यथासंभव पीछे की ओर धकेलने का प्रयास करें।
  • जहाँ तक हो सके आगे देखने की कोशिश करें और अपने हिसाब से आसन को धारण करें।
  • यह आधा चक्र हुआ।
  • पांवों और हाथों की स्थिति बदलते हुए इसे दोहराएं।
  • अब एक चक्र पूरा हुआ इस तरह से आप तीन से पांच बार करें

गोमुखासन के लाभ –

वैसे तो गोमुखासन के बहुत सारे फायदे हैं।

गोमुखासन अस्थमा के लिए: यह फेफड़ों के लिए एक बहुत ही मुफीद योगाभ्यास है और श्वसन से सम्बंधित रोगों में सहायता करता है। यह छाती को पुष्ट बनाता है और फेफड़ों की सफाई करते हुए इसकी क्षमता को बढ़ाता है। इसलिए अस्थमा से पीड़ित रोगियों को नियमित रूप से इस आसन का अभ्यास करना चाहिए।
गोमुखासन बाहों की मजबूती के लिए: अगर आपको पीठ एवं बांहों की पेशियां को मजबूत बनाना हो तो इस आसन का अभ्यास जरूर करें।
कूल्हे (Hips) के स्वस्थ के लिए: अगर आप hips के दर्द से परेशान हैं तो इस आसन का अभ्यास करें।
गोमुखासन रीढ़ की हड्डी के लिए: यह रीढ़ को सीधा रखने के साथ साथ इसको मजबूत भी बनाता है।
गोमुखासन बवासीर (Hemorrhoids) को रोकने में: यह बवासीर के लिए बहुत ही उपयोगी योगाभ्यास माना जाता है।

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