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नगरोटा अस्पताल में प्रसव से महिलाओं की तौबा

Nagarota Bagwan. नगरोटा बगवां। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत 2005 में स्थापित की गई रोगी कल्याण समिति अस्पताल के कामकाज पर समुदाय की नजर रखने, सुझाव देने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार करने में मदद करने हेतु एक महत्वपूर्ण उपकरण माना जाता है। लेकिन संसाधनों के अभाव में समितियों के क्रियाकलाप इतने सिमट गए हैं कि जहां एक तरफ संस्थानों को रोजमर्रा की व्यवस्थाएं जारी रखना मुश्किल नजर आने लगा है। हालांकि साल दर साल स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले मरीजों में अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है वहीं मरीजों को मिलने वाली सुविधाओं में कोई भी बढ़ोत्तरी न होना चिंता का विषय है। नगरोटा बगवां सिविल अस्पताल में वर्ष 2024 में आए कुल एक लाख 15 हजार 630 मरीजों की अपेक्षा 2025 में यह आंकड़ा बढक़र एक लाख 60 हजार को पार
कर गया।
लेकिन न तो संस्थागत ढांचे में कोई वृद्धि हुई न ही सुविधाओं में कोई इज़ाफा। हां इतना जरूर हुआ कि अस्पताल के दर्जे के मुताबिक तय 14 चिकित्सकों के पद सिमट कर छह तक रह गए । खास बात यह है कि वर्ष 2024-25 में अस्पताल की ओपीडी में 53 हजार 347 महिलाएं परामर्श के लिए पहुंची लेकिन पूरे वर्ष केवल 15 महिलाओं ने ही अस्पताल की प्रसव सुविधा का लाभ उठाया। निराशाजनक यह भी है इससे पूर्व वर्ष 2023-24 में भी प्रसव करवाने आई महिलाओं का आंकड़ा डेढ़ दर्जन को नहीं छू पाया था। जानकार बताते है कि अस्पताल में ऑपरेशन थिएटर, ब्लड बैंक, डेडीकेटेड स्टाफ, जनरल फिजिशियन आदि सुविधाओं के अभाव में महिला मरीज संस्थान से मुंह मोड़ती रही हैं।




