भूपेश का छत्तीसगढ़िया अंदाज भा गया सभी को, छेरछेरा मांगकर निभाई परंपरा
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज छत्तीसगढ़ के परंपरागत त्योहार छेरछेरा को छत्तीसगढ़ी अंदाज में मनाकर सभी का दिल जीत लिया। परंपरा के मुताबिक आज लोगों से छेरछेरा के रूप में दान यानी धान मांगकर त्यौहार मनाया। परंपरा के मुताबिक धान की पहली फसल के बाद लोग एक दूसरे के घऱ छेरछेरा यानी नई फसल का धान दान के रूप में मांगने जाते हैं। हंसी ठिठोली के बीच मुख्यमंत्री का सभी से झोली फैलाकर धान मांगने का अंदाज लोगों को खूब भाया।
मुख्यमंत्री ने दुधाधारी मंदिर पहंुंचकर भगवान संकट मोचन हनुमान, स्वामी बालाजी भगवान और राम दरबार में पूजा-अर्चना की और प्रदेशवासियों की खुशहाली की कामना की। मुख्यमंत्री को महंत राजेश्री रामसुन्दर दास ने छेर छेरा त्यौहार के अवसर पर धान एवं सवा लाख रूपए का चेक प्रदान किया। मुख्यमंत्री श्री बघेल ने रंग बिरंगें परिधानों में सजे डण्डा, पंथी और राउत नर्तक दलों के साथ मंदिरों के आसपास कई घरों में जाकर छेर छेरा पुन्नी का दान लिया। मुख्यमंत्री ने घरों के सामने ‘छेर छेरा माई कोठी के धान ला हेर हेरा‘ की आवाज लगाई। मंदिर परिसर में महंत राजेश्री रामसुन्दर दास और साधु संतो और पंडितों ने मंत्रोंच्चार के साथ मुख्यमंत्री श्री बघेल को धान से तौलकर तुला दान किया। मुख्यमंत्री ने अन्नदान को मठ की रामकोठी में रखा। मुख्यमंत्री ने दान मंे प्राप्त धान और धन राशि को प्रदेश के बच्चों को स्वस्थ बनाने के लिए चलाए जा रहे सुपोषण अभियान के लिए समर्पित किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में कुपोषण सबसे बड़ी समस्या है। कुपोषण दूर करने के लिए सरकार के साथ समाज और जन भागीदारी जरूरी है तभी कुपोषण से मुक्ति पाया जा सकता है। उन्होंने प्रदेश के लोगों से आव्हान किया कि वे सुपोषण अभियान में तन-मन-धन से सहयोग करें।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने प्रदेशवासियों को छेर छेरा पर्व की बधाई और शुभकामनाएं देते हुए कहा कि प्रदेश का किसान जब धान की फसल खलिहान में लाता है और उसकी मिंजाई करके जब रास बांधता है तब किसान सहित सभी लोग प्रसन्न होते है। पौष पूर्णिमा के दिन मनायें जाने वाले छेर छेरा पुन्नी पर गांव के बच्चे, युवा और महिला संगठन खलिहानों और घरों में जाकर धान और भेंट स्वरूप प्राप्त पैसे इकट्ठा करते हैं और इकट्ठा किए गए धान और राशि रामकोठी में रखते हैं और वर्ष भर के लिए अपना कार्यक्रम बनाते हैं। खेल सामग्री और सार्वजनिक आयोजनों के लिए सामग्री खरीदते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ का किसान बहुत उदार होता है। किसानों द्वारा उत्पादित फसल केवल उसके लिए नहीं अपितु समाज के अभावग्रस्त और जरूरतमंद लोगों, कामगारों और पशु-पक्षियों के लिए भी काम आती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पौराणिक मान्यता के अनुसार आज ही के दिन भगवान शंकर ने माता अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी, आज ही मां शाकम्भरी जयंती है। इसलिए लोग धान के साथ साग-भाजी, फल का दान भी करते हैं। श्री बघेल ने कहा कि आज ही के दिन रतनपुर के राजा छह माह के प्रवास के बाद रतनपुर लौटे थे। उनकी आवभगत में प्रजा को दान दिया गया था। छेर छेरा पुन्नी जोहार कार्यक्रम में पद्मश्री श्रीमती ममता चन्द्राकार ने छत्तीसगढ़ी राज गीत प्रस्तुत किया। साथ ही कार्यक्रम में बिहाव गीत सहित अन्य गीतों की मधुर प्रस्तुति दी।