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आईआईटी मंडी की टीम ने जांची दरकी पहाड़ी

Baijnath.�
बैजनाथ।�ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ के साथ की ढांक में बरसात में हो रहे भूस्खलन की रोकने के लिए व्यापक प्रबंध किए जाएंगे। इस भू-स्खलन के कारण ऐतिहासिक शिव मंदिर के अस्तित्व पर लगातार खतरे के बादल मंडराने शुरू हो चुके हैं। इसकी संरचना की सुरक्षा के लिए आईआईटी मंडी की टीम ने तीन सुझाव विकल्प के तौर पर निकाले हैं, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट उपायुक्त कांगड़ा को दी जाएगी, ताकि सुरक्षा के लिए बजट उपलब्ध करवाया जाए। गौर हो कि ऐतिहासिक शिव मंदिर के समीप की ढांक के दरकने को लेकर आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर डा. काला वी उदय की अगुवाई में तीन सदस्यीय टीम ने शिव मंदिर की इस ढांक का
निरीक्षण किया।
बैजनाथ।�ऐतिहासिक शिव मंदिर बैजनाथ के साथ की ढांक में बरसात में हो रहे भूस्खलन की रोकने के लिए व्यापक प्रबंध किए जाएंगे। इस भू-स्खलन के कारण ऐतिहासिक शिव मंदिर के अस्तित्व पर लगातार खतरे के बादल मंडराने शुरू हो चुके हैं। इसकी संरचना की सुरक्षा के लिए आईआईटी मंडी की टीम ने तीन सुझाव विकल्प के तौर पर निकाले हैं, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट उपायुक्त कांगड़ा को दी जाएगी, ताकि सुरक्षा के लिए बजट उपलब्ध करवाया जाए। गौर हो कि ऐतिहासिक शिव मंदिर के समीप की ढांक के दरकने को लेकर आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर डा. काला वी उदय की अगुवाई में तीन सदस्यीय टीम ने शिव मंदिर की इस ढांक का
निरीक्षण किया।
इस मौके पर मंदिर न्यास के सहायक आयुक्त एवं एसडीएम देवी चंद ठाकुर, सचिव एवं तहसीलदार रमन ठाकुर और ट्रस्टी मिलाप राणा, रमेश चढ़ा और मुनीश शर्मा इस दल के साथ उपस्थित रहे। गौर हो कि पिछले 12 वर्षों से मंदिर की एक तरफ बिनवा खड्ड के साथ लगती पहाड़ी हर बरसात में दरक रही है। इसके चलते मंदिर के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है। इस पर जिलाधीश कांगडा ने संज्ञान लेते हुए आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों की टीम को यह जिम्मेदारी सौंपी। इस क्षेत्र के एक्सपर्ट आईआईटी मंडी के एसोसिएट प्रोफेसर डा. काला वी उदय ने बताया कि उन्होंने इस पहाड़ी के दरकने की स्थिति की जांच की है और इसकी सुरक्षा के लिए तीन विकल्प सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि इस पहाड़ी को कंक्रीट से रोका जा सकता है लेकिन इससे पहाड़ी का ग्रीन एरिया समाप्त हो जाएगा।




