रायपुर। देश विदेश के आदिवासी नर्तकों और नृत्य समूहों से भरा रहने वाला छत्तीसगढ़ का राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव सोशल मीडिया में फिसड्डी साबित हो रहा है। सोशल मीडिया के टाप ट्रेडिंग में कहीं इसका नामोनिशान नहीं है। हांलाकि राज्य स्तर पर इसके प्रचार प्रसार में प्रदेश सरकार ने कहीं कमी नहीं छोड़ी है।
27 दिसंबर से राजधानी के साइंस कालेज में शुरू होने वाले इस महोत्सव में पूरे देश में आदिवासी नृत्यों में पारंगत दल और कलाकार भागीदारी कर रहे हैं। वहीं महोत्सव में राष्ट्रीय स्तर के नेताओं का जमावड़ा होगा जिसमें राहुल गांधी के अलावा राज्य सभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, उप नेता आनंद शर्मा, राज्यसभा सांसद श्री अहमद पटेल और श्री मोतीलाल वोरा, पूर्व सांसद श्री के.सी. वेणुगोपाल, श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा, पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुश्री मीरा कुमार, छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ. चरण दास महंत, सांसद श्री पी.एल. पुनिया, श्री बी.के. हरिप्रसाद, श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला, श्री चंदन यादव, पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री कांतिलाल भूरिया और श्री भक्त चरणदास शामिल होंगे।
कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में मंत्री श्री टी.एस. सिंहदेव, श्री ताम्रध्वज साहू, श्री रविन्द्र चौबे, डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, श्री मोहम्मद अकबर, श्री कवासी लखमा, डॉ. शिवकुमार डहरिया, श्रीमती अनिला भेंड़िया, श्री जयसिंह अग्रवाल, श्री गुरू रूद्र कुमार, श्री उमेश पटेल, श्री अमरजीत भगत। सांसद श्रीमती छाया वर्मा, श्रीमती ज्योत्सना महंत, श्री दीपक बैज, विधायक श्री मोहन मरकाम, श्री सत्यनारायण शर्मा, श्री धनेन्द्र साहू, श्री कुलदीप जुनेजा, श्री विकास उपाध्याय, जिला पंचायत की अध्यक्ष श्रीमती शारदा वर्मा और रायपुर नगर निगम के महापौर श्री प्रमोद दुबे होंगे।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में पहली बार राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। यह महोत्सव अब अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव का रूप ले लिया है। तीन दिवसीय इस नृत्य महोत्सव में देश के 25 राज्य एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के साथ ही 6 देशों के लगभग 1350 से अधिक प्रतिभागी अपनी जनजातीय कला संस्कृति का प्रदर्शन करेंगे। इस महोत्सव में 39 जनजातीय प्रतिभागी दल 4 विभिन्न विधाओं में 43 से अधिक नृत्य शैलियों का प्रदर्शन करेंगे।
बावजूद इसके न तो सोशल मीडिया में कहीं इस आयोजन का नामोनिशान है न ही टॅाप ट्रेडिंग में इसका कहीं जिक्र है। आलम ये है कि स्थानीय मीडिया पोर्टलों ने भी इस आयोजन को लेकर खास दिलचस्पी नहीं दिखाई है। शासकीय वेबसाइटों में जरूर इसका जिक्र लगातार किया जा रहा है लेकिन निराशाजनक पहलू ये है कि चर्चित साइटों में या सोशल मीडिया के विभिन्न माध्यमों में अपनी जगह बनाने में ये आयोजन फिसड्डी ही दिखाई दे रहा है।