छत्तीसगढ़शहर एवं राज्य

भाजपा पहले जैसी नहीं रही – साय, कांग्रेस में शामिल होते ही बदले नंदकुमार साय के सुर, भूपेश बघेल के योजनाओं की जमकर सराहना की

वरिष्ठ आदिवासी नेता नंदकुमार साय ने भाजपा का साथ छोड़कर कांग्रेस का हाथ थाम लिया है। एक दिन पहले ही उन्होंने भाजपा से इस्तीफा दिया था। सोमवार को श्री साय कांग्रेस भवन पंहुचे और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल,प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम से मुलाकात करने के बाद उन्होंने कांग्रेस प्रवेश कर लिया है। कांग्रेस में शामिल होने के बाद साय भाजपा पर जमकर बरसे। उन्होंने कहा कि भाजपा पहले जैसी पार्टी नहीं रही जिसे अटल बिहारी बाजपेयी और लालकृष्ण आडवानी ने बनाया था, अब यहां मूल्यों की राजनीति नहीं होती। साथ ही उन्होंने गौ सेवा और राम वपन गमन पथ जैसी योजनाओं के लिए भूपेश सरकार की जमकर सराहना भी की।

श्री साय दशकों से भाजपा से जुड़े थे। वे तीन बार के विधायक और तीन बार सासंद रह चुके हैं। श्री साय अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ भाजपा की राजनीति में उन्हे लंबे समय से उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा था। राज्य गठन के समय जब उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनाया गया तब भी उनका विरोध होता रहा। बाद में 2003 में उन्हें तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी के खिलाफ चुनाव लड़वा कर संकट में झाैंका गया था। हाल के दिनों तक वे प्रदेश भाजपा का नेतृत्व अपने हाथ में लेने की कोशिश करते रहे। लेकिन उनका कोई दांव भाजपा में नहीं चला। आखिरकार उन्होंने कांग्रेस का हाथ थामा।

दो बार के सांसद और तीन बार के विधानसभा सदस्य 77 वर्षीय साई ने 2000 में छत्तीसगढ़ के निर्माण से पहले भाजपा के मध्य प्रदेश प्रमुख के रूप में भी काम किया था।

राज्य के गठन के बाद साई ने छत्तीसगढ़ में विपक्ष के पहले नेता के रूप में कार्य किया। उन्हें 2017 में अनुसूचित जनजाति के लिए राष्ट्रीय आयोग का प्रमुख नियुक्त किया गया था।

इस साल के अंत में राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले इसके साथ अपने चार दशक से अधिक के जुड़ाव को समाप्त करते हुए पार्टी छोड़ दी है।

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