निर्दोष आदिवासियों पर बरपा कहर, पुलिस पर आरोप, जांच के निर्देश

मरकाबेड़ा गांव से लौटकर अंकुर तिवारी की रिपोर्ट

कांकेर। छत्तीसगढ़ में माओवादियों और सुरक्षा बलों के बीच चल रहे संघर्ष के कारण राज्य के बस्तर संभाग में आदिवासियों का जीना मुहाल हो गया है। नारायणपुर जिले के मरकाबेड़ा गांव में बीते चार फरवरी को सुबह अज्ञात लोगों ने आदिवासी महिलाओं और बच्चों के साथ बेरहमी से मारपीट की। आरोप है कि ये लोग पुलिस के जवान थे, इधर मामले में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने जांच के निर्देश दिए हैं।

विधवा महिला चिमरा नुरूटी और कोटी नुरूटी के घर से 25 हजार रुपये भी लूट लिया। पुलिस पर आरोप है कि उन्होंने गांव के एक स्कूल में तोड़फोड़ कर उसे आग के हवाले कर दिया। अबूझमाड़ में माओवादियों की जनताना सरकार के इलाके में रहने वाले आदिवासियों को नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच जारी संघर्ष का शिकार होना पड़ रहा है। नारायणपुर के ग्राम पंचायत गोमे के आश्रित गांव मरकाबेड़ा में 4 फरवरी की सुबह आदिवासी समुदाय के लोग अपने रोजमर्रा के काम में लगे थे। उसी समय अज्ञात लोगों एक दल मरकाबेड़ा गांव पहुंचा। उसके बाद सामने जो भी ग्रामीण आया उसे जमकर पीटा गया। उस दिन को याद करते हुए गांववाले कहते हैं कि मारपीट करने वाले स्थानीय लोग हैं जिन्हें फोर्स में भर्ती किया गया है आरोप है कि इन्होंने बच्चों बुजुर्गों, महिला और पुरुषों के साथ जमकर मारपीट की। आदिवासियों के स्कूल में यह कह कर आग लगा दी कि उसे माओवादियों की जनताना सरकार संचालित करती है। लेकिन गांववालों का कहना है कि मरकाबेड़ा गांव में रहने वाले आदिवासी परिवारों के विकास के लिए सरकार ने कोई काम नहीं किया। सिवाय एक सरकारी हैंडपंप लगाने का, वो भी खराब होने के कारण सालों से बंद पड़ा है।

यहां रहने वाले आदिवासियों ने बताया कि दो साल पहले ही उन्होंने पैसा जमा कर आदिवासी बच्चों के लिए एक झोपड़ी में स्कूल बनाया, वहां बतौर शिक्षिका दो महिलाएं पढ़ाने का काम करती थीं। जिन्हें पुलिस ने नक्सली होने के संदेह में गिरफ्तार कर लिया। मरकाबेड़ा गांव के आदिवासी युवक महरु नुरूटी कहते हैं कि पुलिस ने गांव को घेर कर सबको पीटना शुरू कर दिया फिर हमारे स्कूल में तोड़फोड़ कर आग लगा दी।

हालांकि मीडिया के दखल देने के बाद नारायणपुर पुलिस ने पकड़े गए तीन लोगों को नक्सली घोषित कर दिया है और पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग इस बात से ही इंकार कर रहे हैं कि पूर्व माओवादियों से पुलिस बल में शामिल लोग मरकाबेड़ा गांव गए थे और वहां आगजनी और लूटपाट कर ग्रामीणों को मारा पीटा गया। इधर पूरे मामले में गृहमंत्री ने संज्ञान लेते हुए जांच के निर्देश दे दिए हैं।

जबकि माओवादियों की रावघाट एरिया कमेटी के नक्सलियों ने कथित तौर पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। और जंगल में बैनर लगा कर मरकाबेड़ा गांव के स्कूल को जनताना सरकार का विद्यालय बताया है। पकड़े गए लोगों को अपना साथी भी मान लिया है। माओवादियों का कहना है कि सीनियर कार्यकर्ता कॉमरेड मैनी और परतापुर एसीएम सुनीता और हिरंगनार गांव के आदिवासी किसान रामसू वेड़दा को पकड़ कर अपने कब्जे में रखा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button