पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अंतिम दर्शन का सिलसिला जारी, राष्ट्रपति, PM समेत कई दिग्गज नेताओं ने दी श्रद्धांजलि

दिल्ली : देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को निधन हो गया. 84 साल की उम्र में उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. अंतिम संस्कार के पहले प्रणब दा के पार्थिव शरीर को आखिरी दर्शन के लिए उनके आवास, 10 राजाजी मार्ग में रखा गया. प्रणब दा के अंतिम दर्शन के लिए राजनेताओं के आगमन का सिलसिला जारी है.
इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेना प्रमुखों ने पूर्व राष्ट्रपति को श्रद्धांजलि दी. आज दोपहर करीब दो बजे नई दिल्ली के लोधी रोड स्थित श्मशान घाट में पूर्व प्रधानमंत्री प्रणब मुखर्जी का अंतिम संस्कार किया जाएगा. इस दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का भी पूरा ध्यान रखा जाएगा.
प्रणब दा के अंतिम झलक पाने के लिए देश के सभी हिस्सों से राजनीतिक पार्टियों के दिग्गज नेता उनके आवास पहुंच रहे हैं. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी माल्यार्पित कर पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि दी.
ज्ञात हो कि भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार की शाम निधन हो गया. वह 84 वर्ष के थे. प्रणब मुखर्जी को पिछले 10 अगस्त को सेना के ‘रिसर्च एंड रेफ्रल हास्पिटल’ में भर्ती कराया गया था. उसी दिन उनके मस्तिष्क की सर्जरी की गई थी. उसके बाद वह काफी दिनों तक सेना के अस्पताल में कोमा में थे. मुखर्जी को बाद में फेफड़ों में संक्रमण हो गया. वह 2012 से 2017 तक देश के 13वें राष्ट्रपति थे.
पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर 7 दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया गया.
भारत में अमेरिका के राजदूत केन जस्टर ने कहा कि अपने करियर के दौरान प्रणब मुखर्जी ने भारत और अमेरिका के रिश्तों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया.
श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा कि प्रणब एक अच्छे राजनेता, लेखक और सभी का प्यार पाने वाले इंसान थे. उन्होंने जिस तरह अपने देश की सेवा की, उसकी तुलना नहीं की जा सकती है.
वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा- वो मेरे लिए एक साथी से कहीं बढ़कर थे. हमने अपने सामाजिक दायरे के भीतर और बाहर बहुत सारे अनमोल क्षण व्यतीत किए हैं. उनके साथ अक्सर खाना खाने की यादें मेरे दिल में खास जगह रखती हैं.
संघ ने कहा कि भारत के राजनीतिक-सामाजिक जीवन में उपजी इस शून्यता को भरना आसान नहीं होगा. संघ के प्रति प्रणब मुखर्जी के प्रेम और सद्भाव के चलते हमारे लिए तो वे एक मार्गदर्शक थे. उनका जाना संघ के लिए एक अपूरणीय क्षति है।