रायपुर : स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री भूपेश ने किया बड़ा एलान- जानिए घोषणाएं के बारे में

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वतंत्रता दिवस की 73वीं वर्षगाठ पर आज राजधानी रायपुर के पुलिस परेड ग्राऊण्ड में आयोजित मुख्य समारोह में ध्वजारोहण किया। उन्होंने प्रदेशवासियों को स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनाएं दी। कोरोना संक्रमण की रोकथाम और बचाव की गाईडलाईन का पालन करते हुए स्वतंत्रता दिवस का संक्षिप्त और गरिमामय समारोह आयोजित किया गया।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने स्वतंत्रता दिवस संदेश में कहा है कि हमने आजादी की लड़ाई से न्याय की जो यात्रा शुरू की थी, उसे अब जन-जन तक पहुंचा रहे हैं। किसानों के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना और ग्रामीण स्वावलंबन की सबसे बड़ी गोधन न्याय योजना शुरू की गई। यही ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ने के हमारे सपनों और इरादों का आधार है।

आप सबके प्यार, सहयोग, समर्थन और सीधी भीगीदारी से ही यह संभव होगा। उन्होंने कहा कि सबसे बड़े वैश्विक संकट में संविधान से मिली शक्ति और समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य के रूप में मिली पहचान ने हमें रास्ता दिखाया। राज्य सरकार के रूप में हम तय कर सके कि यह समय समाज के सबसे कमजोर तबकों के आंसू पोछने और उन्हें सशक्त बनाने का होना चाहिए। मानवता की सेवा की गांधीवादी सोच और नेहरूवादी संस्थाओं एवं अधोसंरचनाओं ने ही हमें कोरोना से मुकाबला करने के योग्य बनाया।

इसी रास्ते पर चलते हुए हमें आर्थिक मंदी और कोरोना संकटकाल में अर्थव्यवस्था को बचाए रखने में सफलता मिली। इंदिरा गांधी, राजीव गांधी ने देश की एकता और अखण्डता के लिए कुर्बानी दी। उनकी कुर्बानियों के फलस्वरूप हम जाति, धर्म, सम्प्रदाय की सीमाओं से उठकर विकास की नई ऊंचाईयों पर पहुंचे। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर प्रदेशवासियों को कई सौगात दी। उन्होंने डाॅ. राधाबाई डायग्नोस्टिक सेंटर योजना और ’पढ़ई तुंहर पारा’ योजना भी शुरू करने की घोषणा की। डाॅ. राधाबाई डायग्नोस्टिक सेंटर योजना में रियायती दरों पर पैथोलाॅजी तथा अन्य जांच सुविधाएं उपलब्ध करायी जाएगी।

इसी प्रकार समुदाय की सहायता से बच्चों को पढ़ाने के लिए ’पढ़ई तुंहर पारा’ योजना शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि नगर निगमों में स्थापित 101 ’मुख्यमंत्री वार्ड कार्यालयों’ से नागरिकों को मिली सुविधाएं उत्साहवर्धक हैं। अब हम घर पहंुच सेवाओं के लिए नगरीय क्षेत्रों में ’मुख्यमंत्री मितान योजना’ शुरू कर रहे हैं, जिसमें काॅल सेंटर में फोन करके आवेदन, दस्तावेज आदि भेजे जा सकते हैं। आॅनलाइन तथा एसएमएस एलर्ट के माध्यम से न्यूनतम खर्च पर घर बैठे कई तरह की सेवाएं दी जाएंगी।

विद्युत के पारेषण-वितरण तंत्र की मजबूती के लिए ‘‘मुख्यमंत्री विद्युत अधोसंरचना विकास योजना प्रारंभ होगी। प्रदेश में ‘महात्मा गांधी उद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, 4 नए उद्यानिकी काॅलेज तथा एक खाद्य तकनीकी एवं प्रसंस्करण काॅलेज खुलेंगे। दुग्ध उत्पादन और मछली पालन को बढ़ावा देने 3 विशिष्ट पाॅलीटेक्निक काॅलेज भी खोले जाएंगे।

राम वन गमन पर्यटन परिपथ के निर्माण के पावन कार्य में प्रदेश की जनता की सहभागिता के लिए ‘राम वन गमन पर्यटन परिपथ विकास कोष का गठन किया जाएगा। नवगठित जिला गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में महंत बिसाहू दास जी के नाम से उद्यानिकी महाविद्यालय खुलेगा। प्रशासन में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने राज्य में होने वाली नई नियुक्तियों तथा पदोन्नति के लिए गठित की जाने वाली समितियों में महिला प्रतिनिधि की उपस्थिति अनिवार्य की गई है।

सीएम ने प्रदेशवासियों को संबोधित करते हुए अपने संदेश में कहा कि –

सुराजी तिहार के पावन बेरा म छत्तीसगढ़ के जम्मो सियान, दाई-दीदी, संगी-जहुंरिया, नोनी-बाबू मन ला गाड़ा-गाड़ा बधाई।
भारत की आजादी की 73वीं सालगिरह के अवसर पर मैं अमर शहीदों गैंदसिंह, वीर नारायण सिंह, मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, रानी दुर्गावती, रानी लक्ष्मी बाई, वीरांगना अवंति बाई लोधी और उन लाखों बलिदानियों को नमन करता हूं, जिन्होंने आजादी की अलख जगाई थी।

आजादी की लम्बी लड़ाई में देश को एकजुट करने और बुलंद भारत की बुनियाद रखने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं. जवाहर लाल नेहरू, डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद, डाॅ. भीमराव अम्बेडकर, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुुल कलाम आजाद जैसे अनेक महान नेताओं के हम हमेशा ऋणी रहंेगे। राष्ट्रीय आंदोलन की चेतना से छत्तीसगढ़ को जोड़ने और आदर्श विकास की नींव रखने वाले वीर गुण्डाधूर, पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, डाॅ. खूबचंद बघेल, पं. सुंदरलाल शर्मा, बैरिस्टर छेदीलाल, यतियतन लाल, मिनीमाता, डाॅ. राधाबाई, पं. वामनराव लाखे, महंत लक्ष्मीनारायण दास, अनंतराम बर्छिहा, मौलाना अब्दुल रऊफ खान, हनुमान सिंह, रोहिणी बाई परगनिहा, केकती बाई बघेल, बेला बाई जैसे अनेक क्रांतिवीरों और मनीषियों के योगदान के कारण हम सब शान से सिर उठाकर जी रहे हैं।

मैं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर इन सभी पुरखों को सादर नमन करता हूं। आज का दिन शहादत की उस विरासत को भी याद करने का है, जिसमें गणेश शंकर विद्यार्थी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी जैसे हमारे पुरखों का बलिदान भी दर्ज है, जिन्होंने देश की एकता और अखण्डता को बचाये रखने के लिए कुर्बानी दी ताकि देश, अपने मूल्यों और सिद्धांतों पर अडिग रहे, और जाति, धर्म, सम्प्रदाय की सीमाओं से ऊपर उठकर विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचे। यह साल असहयोग आंदोलन का शताब्दी वर्ष भी है, 1 अगस्त 1920 को महात्मा गांधी का यह आह्वान निर्णायक साबित हुआ था कि हम असहयोग करेंगे लेकिन किसी भी हालत में हिंसा नहीं होनी चाहिए।

महात्मा गांधी ने कहा था- मैं ऐसा भारत चाहता हूं, जिसमें गरीब से गरीब लोग भी यह महसूस करेंगे कि यह उनका देश है, जिसके निर्माण में उनकी आवाज का महत्व है, जिसमें विविध सम्प्रदायों के बीच पूरा मेल-जोल होगा।…….. मैं ऐसा भारत चाहता हूं, जिसका शेष सारी दुनिया से शांति का संबंध हो। मेरे लिए हिन्द स्वराज्य का अर्थ है सब लोगों का राज्य-न्याय का राज्य। ….. हमारा स्वराज्य निर्भर करेगा, हमारी आंतरिक शक्ति पर, बड़ी से बड़ी कठिनाइयों से जूझने की ताकत पर। याद कीजिए आजाद भारत के पहले उद्घोष को।

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था- ‘हमने नियति को मिलने का वचन दिया था और अब समय आ गया है कि हम अपने वचन को निभाएं।’ ……. अपने इस ऐतिहासिक भाषण में पंडित नेहरू ने कहा था कि ‘जब तक लोगों की आंखों में आंसू हैं और वे पीड़ित हैं, तब तक हमारा काम खत्म नहीं होगा।’ भाइयांे और बहनांे, अपने देश के संघर्षों और इतिहास को भुलाकर, मूल्यविहीन और अवसरवादी समझौते करना भारत की तासीर नहीं है। देश को विभेदकारी शार्टकट नीतियों और योजनाओं की चमक से बहलाया तो जा सकता है, लेकिन इससे दीर्घजीवी समाधान सम्भव नहीं होते।

देश अब एक बार फिर उस दोराहे पर खड़ा है, जहां एक ओर विभेद और युद्ध-उन्माद की चमक है, तो दूसरी ओर त्याग, बलिदान, मूल्य, समन्वय और अहिंसा की सनातन परंपरा और गांधीवादी विचारधारा है। निश्चित रूप से हमने गांधीवादी रास्ता चुना है।
आज हम आजादी के बाद सबसे बड़े वैश्विक संकट के बीच खड़े हैं। कोरोना और कोविड-19 के हमले ने पूरी दुनिया में इंसानियत को ही कसौटी पर रख दिया है और उन चेहरों को बेनकाब कर दिया है, जो विकास के अपने तौर-तरीकों को मानवीय बताते थे। ऐसे समय में हमें अपने संविधान से मिली शक्ति और समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य के रूप में मिली पहचान ने ही संरक्षण और रास्ता दिया।

इसी शक्ति के संरक्षण में हम राज्य सरकार के रूप में अपनी प्राथमिकता तय कर सकें कि यह समय समाज के सबसे कमजोर तबकों के आंसू पोंछने का, उसे सशक्त बनाने का ही होना चाहिए। मानवता की सेवा की गांधीवादी सोच और नेहरूवादी संस्थाओं व अधोसंरचनाओं ने ही हमें कोरोना से मुकाबला करने के योग्य बनाया। हम में से कोई भी, वह मंजर शायद ही कभी भूल पाए कि किस तरह विभिन्न राज्यों से अपना रोजगार, जमा पूंजी, घर-गृहस्थी खोकर प्रदेश के लाखों लोग चारों दिशाओं से पैदल आ रहे थे। हजारों लोग अलग-अलग राज्यों में फंसे हुए थे।

लाॅकडाउन के कारण उन्हें रहवास, भोजन, बच्चों के लिए दूध, दवा जैसी बहुत जरूरी सुविधाएं भी दूभर हो रही थीं, ऐसे समय में राज्य सरकार के कंधे से कंधा मिलाकर प्रदेश की जनता तथा संस्थाओं ने अद्भुत कार्य किए। साढ़े 5 लाख से अधिक प्रवासी श्रमिकों की घर वापसी हुई। उन्हें सुरक्षित और स्वस्थ घर पहुंचाने के लिए हर गांव में अर्थात् लगभग 22 हजार क्वारंटाइन सेंटर स्थापित किए गए। इन श्रमवीरों को न सिर्फ मनरेगा के तहत रोजगार दिलाया गया बल्कि क्वारंटाइन सेंटर में ही इनके ‘स्किल मैपिंग’ की व्यवस्था की गई ताकि इन्हें प्रदेश में सम्मानजनक रोजगार दिलाया जा सके।

इस दौर में प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को भी चाक-चैबंद बनाया गया जिसके कारण संक्रमित लोगों की रिकवरी दर अन्य प्रदेशों से बेहतर रही तथा मृत्युदर भी काफी कम रही। 21 राज्यों तथा 3 केन्द्र शासित प्रदेशों में फंसे हमारे लगभग 3 लाख मजदूर साथियों को खाद्यान्न व अन्य राहत पहुंचायी गई। वहीं लाॅकडाउन की अवधि में लगभग 74 हजार मजदूरों को वेतन की बकाया राशि 171 करोड़ रू. का भी भुगतान कराया गया। 107 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के माध्यम से न सिर्फ हमारे प्रदेश के मजदूर वापस लाए गए बल्कि अन्य प्रदेशों के मजदूरों को उनके राज्यों में भेजने की भी व्यवस्था की गई। कोरोना महामारी के दौरान हमारी ‘सार्वभौम पीडीएस योजना’ भी कसौटी पर खरी उतरी।

57 लाख अंत्योदय, प्राथमिकता, निराश्रित, निःशक्तजन राशनकार्डधारियों को निःशुल्क चावल वितरण किया जा रहा है। आंगनवाड़ी तथा मध्याह्न भोजन योजना के हितग्राहियों को मिलने वाली पोषण सामग्री में कोई बाधा न आए, इसके लिए घर पहुंच सेवा दी जा रही है। इस तरह ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ भली-भांति जारी रहा, जिससे कुपोषण में 13 प्रतिशत कमी आयी है। भाइयों और बहनों, हम गांधी-नेहरू-पटेल-बोस-भगत सिंह-आजाद-लाल-बाल-पाल जैसे त्यागियों को अपना आदर्श मानने वाले लोग हैं, जिन्होंने आपदा को सिर्फ सेवा का अवसर माना था।

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