मंदिर में दीप जले तो मस्जिद तक उजाला जाए- डॅा. कुमार विश्वास
बुधवार की शाम शहर में काव्य रसों की धारा शिव भाई देश के कई हिस्सों से राजधानी पहुंचे ख्याति प्राप्त हुए ने अपने-अपने अंदाज में कविताएं पेश की। स्वराज एक्सप्रेस और lalluram.com की संयुक्त आयोजन में देश के ख्याति प्राप्त कवि डॉ कुमार विश्वास, पद्मश्री सुरेंद्र दुबे, मीर अली मीर, विनीत चौहान, रमेश मुस्कान, अंकिता सिंह, किशोर तिवारी एवं पदमालोचन शर्मा पहुंचे। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनसूया उनके रही।

- मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में कवि सम्मेलन का आयोजन कल इंडोर स्टेडियम रायपुर में हुआ जिसमें प्रदेश के मंत्री गण भी शामिल हुए। रायपुर से बड़ी संख्या में लोग इस कवि सम्मेलन को सुनने पहुंचे थे। इस अवसर पर सुरेंद्र दुबे की कविता ने श्रोताओं को जमकर गुदगुदाया। सुरेंद्र दुबे ने शुरुआत करते हुवे मुख्यमंत्री के माता जी के देहावसान हो जाने पर कविता पढ़कर श्रद्धांजलि दी जिसे सुनकर सीएम भूपेश भी भावुक हो गए। उन्होंने कहा – धन, दौलत, इज्जत, पहचान सब छूकर जाती है लेकिन आज मां नहीं है, किसे बताएं मां बहुत याद आती है, जब आदमी जीतता है तो मां से कहता है, हारता है तो मां से कहता है, इसके साथ ही उन्होंने अपने छत्तीसगढ़ी गोठ व कविताओं से लोगों को जमकर हंसाया।
कार्यक्रम में कुमार विश्वास की एंट्री ने श्रोताओं में जोश जगा दिया। देश के चहेते कवि डॉ कुमार विश्वास के ट्रैफिक में फंस जाने के कारण थोड़ा देरी से वे स्टेज पर पहुंचे, उन्होंने अपने उद्बोधन से लोगों को बहुत आकर्षित किया। डॉ विश्वास ने लोहिया जी के कथन से अतिथियों को संबोधित किया। उन्होंने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुवे उन्होंने कहा – कहां तक पाला जाए, जंग कहां तक टाला जाए, तू भी है राणा का वंशज, फेंक जहां तक भाला जाए, दोनों तरफ लिखा हो भारत, सिक्का वह उछाला जाए और मंदिर में दीप जले तो मस्जिद तक उजाला जाए, इस कविता से उन्होंने अतिथियों को संबोधित किया जिसे सुनकर सभी श्रोता भी उत्साहित हो गए और तालियों की गड़गड़ाहट पूरा स्टेडियम गूंज उठा।
इस अवसर पर राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा की कवि समाज के लिए दर्पण का काम करते हैं तो साथ ही सीएम बघेल ने कहा कि यह शहर हमेशा से ही कवियों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा है यहां उन्हें हमेशा ही सम्मान और प्रेम मिला है और कवि जैसा सुनाते हैं वैसा ही यहां के श्रोता सुनते भी रहे हैं।