केंद्र के कृषि विधेयकों को अदालत में चुनौती देगी राज्य सरकार, मुख्यमंत्री बोले बिल का करेंगें विरोध

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार, केंद्र सरकार के कृषि संबंधी तीनों विधेयकों को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने जा रही है। इसके लिए दूसरे राज्यों से भी चर्चा शुरू हो गई है। इस बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है, केन्द्र सरकार का “एक राष्ट्र-एक बाजार” अध्यादेश किसानों के हित में नहीं है। इससे मंडी का ढांचा खत्म हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा, हम केन्द्र सरकार के किसान विरोधी कानूनों का विरोध करेंगे।
प्रदेश के कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे ने शुक्रवार को कहा, कई राज्यों ने विधेयकों को चुनौती देने की तैयारी कर ली है। हम लोग भी यहां तैयारी करेंगे। चौबे ने कहा, सरकार ने एक महीने पहले ही केंद्र सरकार को पत्र लिखकर विरोध जता दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री के साथ वीडियो कॉन्फे्रन्सिंग में भी उन्होंने अध्यादेशों को वापस लेने का आग्रह किया था।
किसानों को उनकी उपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलेगा। आवश्यक वस्तु अधिनियम में किए गए संशोधन से आवश्यक वस्तुओं के भंडारण एवं मूल्य वृद्धि के विरूद्ध कार्यवाही करने मे कठिनाई होगी। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिग से निजी कंपनियों को फायदा होगा। सहकारिता में निजी क्षेत्र के प्रवेश से बहुराष्ट्रीय कंपनियां, बड़े उद्योगपति सहकारी संस्थाओं पर कब्जा कर लेंगे और किसानों का शोषण होगा।
अब केंद्र सरकार इनको विधेयक बनाकर लोकसभा में पारित करा चुकी है। राज्यसभा में इसपर चर्चा होनी है। इसपर उनके ही गठबंधन में शामिल शिरोमणि अकाली दल ने विरोध किया है। अकाली दल की हरसिमरत कौर ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। इससे स्पष्ट हो गया है कि विधेयक किसान विरोधी हैं। कृषि मंत्री ने कॉर्पोरेट खेती की अनुमति को ईस्ट इंडिया कंपनी की वापसी बताया।
इन बातों का विरोध
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 – किसानों को देश के किसी भी हिस्से में अपनी उपज बेचने की छूट दी गई है। इसमें किसान और व्यापारी को उपज खरीदी-बिक्री के लिए राज्य की मंडी के बाहर टैक्स नहीं देना होगा। माने मंडी में फसलों की खरीदी-बिक्री की अनिवार्यता समाप्त हो जाएगी और निजी मंडियों को बढ़ावा मिलेगा। राज्य सरकार की आपत्ति है, इससे मंडी का ढांचा नष्ट हो जाएगा। व्यापारी किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम कीमत पर फसल खरीदेंगे।
2. कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 – कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग और सहकारी बैंकों में निजी इक्विटी की अनुमति का प्रावधान किया गया है। राज्य सरकार का कहना है, इससे खेती में कॉर्पोरेट का दखल बढ़ेगा और किसान खेतिहर मजदूर में बदल जाएगा।
3. आवश्यक वस्तु (संशोधन) अध्यादेश, 2020 – खाद्य पदार्थों के उत्पादन और बिक्री को नियंत्रण मुक्त किया गया है। तिलहन, दलहन, आलू, प्याज जैसे उत्पादों से स्टाक सीमा हटाने का फैसला लिया गया है। राज्य सरकार का कहना है, इससे कालाबाजारी बढ़ेगी।